गूँजती है ये क्या सदा मुझ में खो गया किस का रास्ता मुझ में हर्फ़ था तेरे प्यासे होंटों का घुल गया जिस का ज़ाइक़ा मुझ में मैं अंधेरा मकान हूँ आ कर तू कोई ताक़ ही बना मुझ में अपनी आँखें भी मुझ में छोड़ गया जिस ने देखा था आइना मुझ में जा चुका तेरे आसमानों को जो परिंदा था उड़ रहा मुझ में