डुबोने वालों को शर्मिंदा कर चुका हूँगा मैं डूब कर ही सही पार उतर चुका हूँगा पहुँच तो जाऊँगा आब-ए-हयात तक लेकिन ज़बाँ भिगोने से पहले ही मर चुका हूँगा सुनाई जाएगी जब तक मुझे सज़ा-ए-सुख़न सुकूत-ए-वक़्त में आवाज़ भर चुका हूँगा मिसाल-ए-रेग हूँ में साअ'तों की मुट्ठी में वो जब तक आएगा सारा बिखर चुका हूँगा ज़माना आएगा उस वक़्त ख़ैर-मक़्दम को जब इस जहाँ से 'मुज़फ़्फ़र' गुज़र चुका हूँगा