दुखों से और ग़मों से दोस्ती है हक़ीक़त में यही तो ज़िंदगी है ख़ुशी पल भर मगर ग़म ज़िंदगी भर ख़ुशी से ग़म ज़ियादा क़ीमती है अगर रौशन हो दिल सीने के अंदर अँधेरी रात भी फिर चाँदनी है गले में डालता है हिज्र बाहें उदासी मेरे पाँव चूमती है बड़ी मुद्दत हुई हम ने 'ख़लील' अब ज़माने में ख़ुशी देखी नहीं है