ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है मौसम-ए-ऐश-ओ-फ़स्ल-बाज़ी है इन चकोरों से दूर रह ऐ चाँद क़ौल उश्शाक़ का नमाज़ी है इस क़लंदर की बात सहल न बूझ इश्क़ के फ़न में फ़ख़्र-ए-राज़ी है हम-क़रीं मुझ न कर रक़ीबाँ सूँ तौर यारों की पाक-बाज़ी है आशिक़ाँ जान-ओ-दिल गँवाते हैं ये न तौर-ए-ज़माना-साज़ी है 'फ़ाएज़' उस ख़ुश-अदा सिरीजन पास बे-गुनाहाँ का क़त्ल बाज़ी है