एहसास क़ुर्बतों का दिलाते हुए तुझे हम डूबने लगे हैं बचाते हुए तुझे चलते रहे निगाह में लाते हुए तुझे आए हैं हम कहाँ पे निभाते हुए तुझे हम को हमारे ज़ब्त पे था ही नहीं यक़ीन सो रो पड़े गले से लगाते हुए तुझे हर बार कोई चीज़ तू जाता है तोड़ कर सो डर रहा हूँ ख़्वाब में लाते हुए तुझे कूज़ा-गरों ने आज मुझे ये दिया जवाब हम थक चुके हैं दोस्त बनाते हुए तुझे आ पास मेरे मिल के मनाते हैं उस का सोग हारा हूँ मैं भी दोस्त हराते हुए तुझे