एक अंदोह-ए-बे-क़यास में हूँ आग हूँ ख़ाक के लिबास में हूँ क्या सुकूनत सरा-ए-फ़ानी की एक ता'मीर-ए-बे-असास में हूँ दूर आब-ए-फ़ुरात-ए-फ़न है हनूज़ कर्बला-ए-सुख़न की प्यास में हूँ कोई सुनता तो क़द्र भी करता एक सहरा-ए-ना-सिपास में हूँ शम-ए-उम्मीद हूँ मगर 'सहबा' बंद फ़ानूस-ए-रंज-ओ-यास में हूँ