इक चाँद सा रहता है जो चेहरा मिरे आगे साया मिरे पीछे है उजाला मिरे आगे तारीफ़ के अल्फ़ाज़ न मिल पाएँ लुग़त में काग़ज़ यूँही रक्खा है ये कोरा मिरे आगे तस्वीर तिरी बनती ये मुमकिन ही नहीं था हर एक बरश आप ही टूटा मिरे आगे पूजा है शब-ओ-रोज़ तिरे हुस्न का पैकर साधू कई जपते रहे माला मिरे आगे फूलों की ये बारिश है शगुन-नेक शब-ए-वस्ल ज़रबफ़्त का उतरा है ये जोड़ा मिरे आगे हर मौत पे लगता है ये हम को कि सर-ए-इश्क़ इक दार-ओ-रसन और है तख़्ता मिरे आगे क्या दीदा-दिलेरी रही हाथों में महारत दौलत मिरी मिल्लत की सफ़ाया मिरे आगे है बहर वही क़ाफ़िया 'ग़ालिब' की रदीफ़ और 'सफ़वत' तिरे अशआ'र हैं कासा मिरे आगे