एक इक बात का पता है मुझे सारे हालात का पता है मुझे मैं ने देखे हैं सब नशेब-ओ-फ़राज़ जीत और मात का पता है मुझे अपनी कमज़ोरियों से वाक़िफ़ हूँ अपनी औक़ात का पता है मुझे तू अभी मंज़िल-ए-गुमान में है तेरे शुबहात का पता है मुझे बे-सुकूनी नज़र में है तेरी तेरे दिन रात का पता है मुझे हाथ है एक ज़ात का मुझ पर और उस ज़ात का पता है मुझे