इक हश्र सा बपा है तुझे देखने के बाद क्या जाने क्या हुआ है तुझे देखने के बाद हर दर्द ला-दवा है तुझे देखने के बाद महसूस ये हुआ है तुझे देखने के बाद बस इक तिरा ख़याल है दुनिया को भूल कर दिल को ये क्या पता है तुझे देखने के बाद रातों को नींद उड़ गई दिन का सुकूँ गया ये रोग लग गया है तुझे देखने के बाद अब कश्ती-ए-हयात का हाफ़िज़ है बस ख़ुदा तूफ़ान वो उठा है तुझे देखने के बाद ज़ालिम तिरी अदाओं पे सौ जान से निसार 'ज़ाहिद' भी मर-मिटा है तुझे देखने के बाद