एक ही हल शदीद वहशत में और सिगरेट मज़ीद वहशत में थक गए चीख़ चीख़ दश्त में हम करता क्या था फ़रीद वहशत में कुछ भरोसा नहीं दिवाने का क्या करे क्या बईद वहशत में आम से दिन नहीं गुज़रते हैं कैसे गुज़रेगी ईद वहशत में चाँद की चाँदनी से आँगन में होते हैं मुस्तफ़ीद वहशत में पुतलियाँ फैलती ही जाती हैं घटती जाती है दीद वहशत में