इक नज़र हम पे भी हो सनम कम से कम दूर हो जाएँ दर्द-ओ-अलम कम से कम अपने जल्वों की दुनिया इधर भी सजा ताकि हो मेरा घर भी इरम कम से कम इश्क़ में फ़ख़्र से पा-ब-ज़ंजीर हूँ टूटे हरगिज़ न उस का भरम कम से कम नौहे शिकवे की बे-शक नफ़ी ही सही दर्द इतना कि हो आँख नम कम से कम लुत्फ़-ए-ऐश-ओ-तरब की नहीं है तलब मैं रहूँ तेरे बस हम-क़दम कम से कम प्यार तू मुझ से कर या न कर ग़म नहीं हाँ मगर कर न मुझ पर सितम कम से कम शे'र लिखना है 'नादिर' ख़ुदा वास्ते दे दे काग़ज़ सियाही क़लम कम से कम