हो साल-ए-नौ बहिश्त का दर्पन ख़ुदा करे हर घर मसर्रतों का हो मस्कन ख़ुदा करे जाग उट्ठें अब दिलों में मोहब्बत के वलवले ठंडा हो नफ़रतों का ये ईंधन ख़ुदा करे हर शख़्स हर ग़रीब की पूरी मुराद हो हों ज़िंदगी के रास्ते चंदन ख़ुदा करे एहसास और शुऊ'र के तन्नूर जल उठें जल कर हमारे शहरी हों कुंदन ख़ुदा करे हर क़ाफ़िले को ख़ैर की मंज़िल मिले सदा हर बन हो उस की राह में गुलशन ख़ुदा करे नेकी के रास्ते से हों दुश्वारियाँ भी दूर सारी बुराइयों पे हो क़दग़न ख़ुदा करे इंसानियत का क़त्ल जो करते हैं रात दिन ज़िंदाँ की तीरगी में हों दुश्मन ख़ुदा करे