एक तमाशा और दिखाया जा सकता था मुझ को ज़िंदा भी दफ़नाया जा सकता था चिड़ियों की आवाज़ न कानों तक आ सकती घर में इतना शोर मचाया जा सकता था जब तक बर्फ़ पिघलती या बरखा रुत आती दरिया और भी काम में लाया जा सकता था तुम ने अपना रस्ता ख़ुद रोका था वर्ना तुम जब आना चाहते आया जा सकता था छोटी छोटी ख़ुशियाँ बाँटी जा सकती थीं हँसते हँसते ग़म अपनाया जा सकता था कितना ही मसरूफ़ था फिर भी अपनी ख़ातिर थोड़ा सा तो वक़्त बचाया जा सकता था जितने वक़्त में तुम ने घर आबाद किया है उतने वक़्त में शहर बसाया जा सकता था गर्दन में बल आना ही था फिर भी 'सैफ़ी' बोझ ज़रा सा और उठाया जा सकता था