एक तू, एक आशिक़ी मेरी बस यही कुछ है ज़िंदगी मेरी दिल क़नाअत ज़रा सी करता तो हर मोहब्बत थी आख़िरी मेरी जिसे तुम लोग इश्क़ कहते हो उस से बेहतर है दिल-लगी मेरी एक दिल के हज़ार ख़ानों में बट गई एक ज़िंदगी मेरी वस्ल नुक़सान कर गया मेरा मर गई आज शाएरी मेरी