इक उम्र की तलाश का क्या है सिला मिला ख़ुद की ख़बर मिली न ख़ुदा का पता मिला देखो तो ख़ुद-कुशी है जो समझो तो है विसाल दरिया जो एक चल के समंदर से जा मिला इस बार उस के मिलने का अंदाज़ था जुदा चेहरा वही था आदमी बिल्कुल नया मिला दैर-ओ-हरम में जा के भी देखा है बार-बार दिल को सुकूँ मिला न कहीं पर ख़ुदा मिला फ़रियाद ख़ून-ए-दिल की अदालत ने कब सुनी उन को सज़ा मिली न हमें ख़ूँ-बहा मिला मुश्किल था हम से मंदिर-ओ-मस्जिद में इंतिख़ाब शुक्र-ए-ख़ुदा कि राह में इक मै-कदा मिला क्यों ज़िद है ऐ 'सदा' तुझे उस की तलाश की अब तक किसी को जिस का नहीं नक़्श-ए-पा मिला