फ़ज़ा-ए-क़ुर्ब में बेताबी-ए-दिल बढ़ती जाती है मोहब्बत की तड़प मंज़िल-ब-मंज़िल बढ़ती जाती है उधर बारिश मुसलसल जल्वा-हा-ए-बे-महाबा की अधर महदूद नज़ारे की मुश्किल बढ़ती जाती है पहुँचता जा रहा हूँ औज-ए-इदराक-ए-हक़ीक़त तक बराबर हिम्मत-ए-क़त्अ-ए-मनाज़िल बढ़ती जाती है इधर मेरे लिए चश्म-ए-तलब ख़ूब अंजुमन उन की उधर बेगानगि-ए-अहल-ए-महफ़िल बढ़ती जाती है यही मौसम है बर्क़-ओ-आशियाँ के छेड़ का मौसम बहार आई तो कुछ फ़िक्र-ए-अनादिल बढ़ती जाती है जलाने को तो परवाना जो पाए सब जला डाले मगर अफ़्सुर्दगि-ए-शम्अ'-ए-महफ़िल बढ़ती जाती है तलाश-ए-जू-ए-शीर आसाँ जो अज़्म-ए-कोहकन भी हो सुहूलत ढूँडने वालों की मुश्किल बढ़ती जाती है बहार-ए-ताज़ा आने को है फिर 'आरिफ़' गुलिस्ताँ में बहर-सू नग़्मा-संजि-ए-अनादिल बढ़ती जाती है