फ़न है उदास और तमाशा मज़े में है मौसीक़ी गुम है शोर-शराबा मज़े में है है सच की राह चल के परेशान कोई और लफ्फ़ाज़ी कर के झूट का पुतला मज़े में है हर फ़िक्र सिर्फ़ जागने वाले का है नसीब जो सो रहा है बस वही बंदा मज़े में है लम्बे सफ़र के बाद भी पहचान खो गई सागर से मिल के कौन सा दरिया मज़े में है है 'आरज़ू' कि ग़म में रहूँ या ख़ुशी में मैं होता रहे ये लोगों में चर्चा मज़े में है