फ़क़ीर हूँ मैं मिरा काम है सदा देना मिरा शिआ'र है क़ातिल को भी दुआ देना ग़म-ए-फ़िराक़ में जीना भी इक क़यामत है मिरे ख़ुदा मुझे जीने का हौसला देना सलीब-ओ-दार हो सहरा हो या कि मक़्तल हो जहाँ हो मेरी ज़रूरत मुझे सदा देना वफ़ा-शिआ'र अगर हो कोई तो मुजरिम है वफ़ा-सरिश्त में क्यों हों मुझे सज़ा देना कहाँ मैं गुम हूँ कहीं मुझ को ढूँड लो यारो अगर मिलूँ तो मुझे भी मिरा पता देना अना बहुत है मैं सरकश भी हूँ बहुत लेकिन ख़ुदा के नाम पे आता है सर झुका देना तमाम उम्र गुज़ारी है इश्क़ में जिस के 'पयाम' सहल नहीं है उसे भुला देना