फ़रियाद कि वो शोख़ सितमगार न आया मुझ क़त्ल कूँ ले हाथ में तलवार न आया मैं पंबा-नमन नर्म किया बिस्तर-ए-तन कूँ वो पिउ क़दम धरने को यकबार न आया छुट आह पिछे कौन मिरे दर्द का अहवाल मुझ दुख की ख़बर लेने वो ग़म-ख़्वार न आया जाने है वफ़ादार मुझे दिल मने लेकिन दहशत से रक़ीबाँ की वो नाचार न आया आराम गया भूक नहीं नींद गई भूल अफ़्सोस कि वो ताला'-ए-बेदार न आया बुलबुल की नमन आस है नित बास की मुझ कूँ सद-हैफ़ मिरे पास वो गुलज़ार न आया बाज़ार-ए-सुख़न गर्म किया उस की सिफ़त सूँ मुझ शेर का हैहात ख़रीदार न आया लिख बार सहा बाग़ में माली का तहूरा पर सैर कतीं वो गुल-ए-बे-ए-ख़ार न आया ऐ 'मुबतला' ये बात लिखा दिल के उपर मैं इक रोज़ मुझ आग़ोश में वो यार न आया