फूलों को तबस्सुम की अदा तुझ से मिली है गुलशन को जुनूँ-ख़ेज़ हवा तुझ से मिली है ऐ ख़ुल्द-नज़र जान-ए-चमन रूह-ए-बहाराँ शबनम को ये नमनाक ज़िया तुझ से मिली है बज़्म-ए-मह-ओ-अंजुम को भी ऐ शाहिद-ए-राना ये नूर से भरपूर फ़ज़ा तुझ से मिली है गुलगूँ लब-ओ-रुख़्सार के सदक़े में शफ़क़ को ये रंग की दौलत ब-ख़ुदा तुझ से मिली है उस रु-ए-ज़िया-बार पे ये अब्र का घूंगट बिजली को यक़ीनन ये हया तुझ से मिली है साक़ी तिरी आँखों की क़सम साग़र-ए-मय को ये कैफ़ियत-ए-होश-रुबा तुझ से मिली है ऐ दोस्त तेरी नीम-निगाही के तसद्दुक़ दिल को ख़लिश-ए-रूह-फ़ज़ा तुझ से मिली है कौनैन के हर राज़ को महरम जिसे कहिए 'मंशा' को वही फ़िक्र-ए-रसा तुझ से मिली है