रिश्ता-ए-उल्फ़त तुम क्या जानो दर्द-ए-मोहब्बत तुम क्या जानो तुम से बिछड़ कर क्या क्या गुज़री दिल पे क़यामत तुम क्या जानो कब कब तुम से क्या पहुँची है दिल को अज़िय्यत तुम क्या जानो ज़ाहिर-ओ-बातिन एक है मेरा मेरी हक़ीक़त तुम क्या जानो आँख में आँसू लब पर आहें ऐसी शिकायत तुम क्या जानो शब में उठ कर जो रोते हैं उन की इबादत तुम क्या जानो दिल तो 'फ़रमान' आईना है इस की नज़ाकत तुम क्या जानो