ग़ज़ल के पर्दे में बे-पर्दा ख़्वाहिशें लिखना न आया हम को बरहना गुज़ारिशें लिखना तिरे जहाँ में हूँ बे-साया अब्र की सूरत मिरे नसीब में बे-अब्र बारिशें लिखना हिसाब-ए-दर्द तो यूँ सब मिरी निगाह में है जो मुझ पे हो न सकीं वो नवाज़िशें लिखना ख़राशें चेहरे की सीने के ज़ख़्म सूख चले कहाँ हैं नाख़ुन-ए-याराँ की काविशें लिखना हम एक चाक हैं जो कूज़ा-गर के हाथ में है हमारा काम ज़माने की गर्दिशें लिखना ब-राह-ए-रास्त कोई फ़र्ज़ अदा नहीं होता वही सिफ़ारिशें सुनना सिफारिशें लिखना हुआ न ये भी सलीक़े से ज़िंदगी करते हर एक साँस को नाकाम कोशिशें लिखना कहाँ वो लोग जो थे हर तरफ़ से नस्तालीक़ पुरानी बात हुई चुस्त बंदिशें लिखना हुनर-वरो ज़रा कुछ दिन ये तुर्फ़गी भी सही हमारे लफ़्ज़ों को मअ'नी की लग़्ज़िशें लिखना कभी जो ख़त उसे लिखना 'फ़ज़ा' तो रखना याद मिरी तरफ़ से भी कुछ नेक ख़्वाहिशें लिखना