ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं By Ghazal << इस धूप से क्या गिला है मु... हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा ... >> ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं ख़ातिर-ए-दर्द-आश्ना हूँ मैं हुस्न हूँ मैं कि इश्क़ की तस्वीर बे-ख़ुदी तुझ से पूछता हूँ मैं आह फिर दिल की याद आई है ज़र्रे ज़र्रे को देखता हूँ मैं ज़ब्त-ए-ग़म बे-सबब नहीं 'जज़्बी' ख़लिश-ए-दिल बढ़ा रहा हूँ मैं Share on: