हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा फ़ुज़ूँ है कि नहीं ये मिरे ज़ौक़-ए-तमाशा का फ़ुसूँ है कि नहीं कुछ तो इरशाद हो ऐ तम्किनत-ए-आन-ए-जमाल इश्क़ शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-जुनूँ है कि नहीं ये जहान-ए-मय-ओ-मीना-ओ-सुबू ऐ वाइज़ परतव-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना है क्यूँ है कि नहीं शोला-ए-शम्अ से ख़ाकिस्तर-ए-परवाना तक एक ही सिलसिला-ए-सोज़-ए-दरूँ है कि नहीं हल्क़ा-ए-बाद-ए-सबा तज़्किरा-ए-ज़ुल्फ़-ए-सनम इस में कुछ शाएबा-ए-ज़ौक़-ए-जुनूँ है कि नहीं बसते जाते हैं नगर दिल हैं तबाह ओ वीराँ आगही दुश्मन-ए-दुनिया-ए-सुकूँ है कि नहीं हम वो हैं आज 'रविश'-ए-साहब-ए-दीवान-ए-ग़ज़ल ये सब उस चश्म-ए-सुख़न-गो का फ़ुसूँ है कि नहीं