ग़म-ए-अय्याम की ज़िंदा निशानी देखते जाओ बहुत मशहूर है मेरी कहानी देखते जाओ दिल-ए-महजूर का तुम को अगर हो इम्तिहाँ मक़्सूद हैं उस के नक़्श तहरीरी ज़बानी देखते जाओ कुछ ऐसे लफ़्ज़ होते हैं जो नश्तर बन के लगते हैं मफ़र मुश्किल मुसीबत ना-गहानी देखते जाओ तशफ़्फ़ी कर लो दिल की फ़ाल ही से आस बंध जाए कब आएगी कोई साअ'त सुहानी देखते जाओ शरर-अफ़शाँ अगर आहें तो दीदे अश्क से लबरेज़ हुए आमेज़ क्यूँकर आग पानी देखते जाओ इलाज-ए-कर्ब की ख़ातिर है लाज़िम दिल रहे यकसू जो हों बीमार आँखें रंग धानी देखते जाओ ख़ुदा रक्खे है कुछ दीवान-ए-‘साक़ी’ भी जज़ाक-अल्लाह सलासत देखते जाओ रवानी देखते जाओ