ग़म-ए-जहाँ के फ़साने तलाश करते हैं ये फ़ित्ना-गर तो बहाने तलाश करते हैं रबाब-ए-अम्न-ओ-सुकूँ के हसीन तारों में शिकस्त-ए-दिल के तराने तलाश करते हैं ये इंतिहा है जुनून-ए-हवस-परस्ती की पराए घर में ख़ज़ाने तलाश करते हैं नए निज़ाम की बुनियाद तोड़ने वाले वफ़ा-शिआ'र पुराने तलाश करते हैं सितम-नवाज़ दिलों को जो साज़गार न हो 'शकील' हम वो ज़माने तलाश करते हैं