गरेबाँ चाक करने से हमें फ़ुर्सत भी मिलती है रहे तू मेहरबाँ तो इल्म की दौलत भी मिलती है ख़ुदा रक्खे तुझे ऐ शाइ'री तेरी बदौलत ही हमें इज़्ज़त भी मिलती है हमें शोहरत भी मिलती है दर-ए-जानाँ को हम ने इस लिए अब तक नहीं छोड़ा जहाँ कुछ रंज मिलता है वहीं राहत भी मिलती है इबादत से फ़क़त ख़ुश-नूदी-ए-मौला नहीं मिलती सितम-गर तुझ से लड़ने की हमें हिम्मत भी मिलती है ग़लत आए तो होंटों पर तबस्सुम ढूँडने वालो यहाँ आँसू बहाने से कभी मोहलत भी मिलती है बहुत ही सोच कर अपने क़दम रखना ख़िरद वालो ये राह-ए-इश्क़ है इस राह में वहशत भी मिलती है सलामत है अगर ईमान ऐ 'तश्ना' यक़ीं कर लो कि जिस पर नाज़ है रिज़वाँ को वो जन्नत भी मिलती है