ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ए-नाशाद हूँ मैं कि मिटने के लिए आबाद हूँ मैं जफ़ा-ओ-जौर से भी शाद हूँ मैं हरीस-ए-लज़्ज़त-ए-बेदाद हूँ मैं लब-ए-मो'जिज़-नुमा से ज़िंदगी है ख़िराज-ए-नाज़ से बर्बाद हूँ मैं बड़ी मुश्किल में की इमदाद मेरी फ़िदा-ए-बाज़ू-ए-जल्लाद हूँ मैं न कर पामाल गर्दिश-हा-ए-अफ़्लाक किसी भूले हुए की याद हूँ मैं तमन्ना वस्ल की तो और शय है तुम्हारे हिज्र से भी शाद हूँ मैं तुम्हारे नावक-ए-मिज़्गाँ के होते रहीन-ए-नश्तर-ए-फ़स्साद हूँ मैं मुझी पर आँख रहती है अदू की 'फ़रोग़' अब दीदा-ए-हस्साद हूँ मैं