ग़म बख़्शने वालों से ख़ुशी माँग रहा हूँ रोती हुई आँखों की हँसी माँग रहा हूँ कुछ लोग फ़क़त दिल का सुकूँ माँग रहे हैं दिलदार से मैं दिल की लगी माँग रहा हूँ ये कैसी सदी है कि सदा ज़ुल्म है रक़्साँ मैं अपने तसव्वुर की सदी माँग रहा हूँ क्यों मेरे लिए ख़ार-ब-दामाँ है ज़माना क्या ये भी ख़ता है कि कली माँग रहा हूँ