ग़ज़ल कहूँ तो मैं अपनी ग़ज़ल के साथ रहूँ सुख़न की राह में पैहम अमल के साथ रहूँ बिखेरता रहूँ ख़ुशबू हर एक महफ़िल में गुलाब चम्पा चम्बेली कँवल के साथ रहूँ बनूँ सहारा मैं दुनिया में बे-सहारों का तिरे करम से ख़ुदाया मैं बल के साथ रहूँ लड़ाई करने से बेहतर है सुल्ह करता रहूँ इसी उमीद से मैं आज कल के साथ रहूँ