गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर सरकार देख कर मिरी सरकार देख कर आवारगी का शौक़ भड़कता है और भी तेरी गली का साया-ए-दीवार देख कर तस्कीन-ए-दिल की एक ही तदबीर है फ़क़त सर फोड़ लीजिए कोई दीवार देख कर हम भी गए हैं होश से साक़ी कभी कभी लेकिन तिरी निगाह के अतवार देख कर क्या मुस्तक़िल इलाज किया दिल के दर्द का वो मुस्कुरा दिए मुझे बीमार देख कर देखा किसी की सम्त तो क्या हो गया 'अदम' चलते हैं राह-रौ सर-ए-बाज़ार देख कर