गो दिल के दुख दिलों में छुपाए हुए हैं लोग अपना जनाज़ा आप उठाए हुए हैं लोग किस तौर से दें और को हमदर्दी-ओ-ख़ुलूस ख़ुद आप ज़िंदगी के सताए हुए हैं लोग आएगा अब न कोई मसीहा नजात का बेकार ही उमीद लगाए हुए हैं लोग ता आने वाली नस्ल अँधेरों में खो न जाए ख़ूँ के चराग़ आज जलाए हुए हैं लोग महरूमी-ए-नसीब का किस से गिला करें जिस के फ़रेब सैकड़ों खाए हुए हैं लोग आए नज़र जहाँ न कोई पेश कोई पस ये ख़ुद को किस मक़ाम पे लाए हुए हैं लोग हर सम्त तेरी बात सुनी जाएगी 'नदीम' हर चंद तुझ को आज भुलाए हुए हैं लोग