गो इस से इज़्तिराब में है जान-ए-ज़िंदगी फिर भी ये दर्द-ए-इश्क़ है शायान-ए-ज़िंदगी अच्छा हुआ कि मौत ने मुझ को मिटा दिया मैं दाग़-ए-नंग था सर-ए-दामान-ए-ज़िंदगी नग़्मे समझ रहा है इन्हें ना-सुख़न-शनास मजमूआ' मर्सियों का है दीवान-ए-ज़िंदगी आहू-ए-तिश्ना और फ़रेब-ए-सराब-ए-दश्त इंसान और ऐश-ए-गुरेज़ान-ए-ज़िंदगी पाया कहीं न गौहर-ए-मक़्सूद का निशाँ छानी बहुत है ख़ाक-ए-बयाबान-ए-ज़िंदगी तस्कीन-ए-दिल ब-जुज़ ग़म-ए-उल्फ़त कहीं नहीं साबित हुआ कि दर्द है दर्मान-ए-ज़िंदगी 'महरूम' किस के नोक-ए-क़लम का है शाहकार अफ़साना-ए-फ़िराक़ ब-उनवान-ए-ज़िंदगी