गोश कर फ़रियाद-ए-आशिक़ जान कर नाला-ए-बुलबुल पे ऐ गुल कान कर जब बदल कपड़े कफ़न का ध्यान कर ग़ुस्ल-ए-मय्यत जान जब अश्नान कर खाल मुझ महव-ए-मिज़ा की जान कर रख दिया छलनी का सीना छान कर मिट गए उस की चक़ों को देख कर बुलबुले उभरे जो सीना तान कर सख़्त-जाँ वो हूँ जो हो मुझ पर रवाँ असलहे रह जाएँ लोहा मान कर आग में अपने मिसाल-ए-शम्अ जल पर ज़बान से उफ़ न ऐ नादान कर नश्तर-ए-मिज़्गाँ हो बूँदी की कटार बूँद-भर पानी पिला एहसान कर ऐ दुर-ए-यकता जनाब-ए-ख़िज़्र ने इक मुझे पाया ज़माना छान कर जिस्म-ज़ार-ए-क़ैस का पूछा जो हाल रख दिया मकड़ी ने जाला तान कर ग़म गुनाहों का न खा 'शाद'-ए-हज़ीं रहमतुल-लिलआलमीं पर ध्यान कर