गुलशन में रंग-ओ-नूर के पैकर में कौन है ख़ुशबू में कोंपलों में गुल-ए-तर में कौन है ये कौन सा मक़ाम है ख़िदमत का ऐ ख़ुदा जारूब-कश ये ख़ाना-ए-बे-ज़र में कौन है मौजें तड़प रही हैं किनारे हैं ज़ेर-ए-आब मज़लूम अब जहान-ए-समुंदर में कौन है क़ाएम तुझी से जब कि उरूज-ओ-ज़वाल है ऐ वक़्त तू ही बोल कि चक्कर में कौन है नज़रों की सीढ़ियों से उतरता है दिल में कौन ख़ुशबू की तरह रूह के पैकर में कौन है 'मुख़्लिस' तुम उस का नाम बताते नहीं हो क्यों बरतर है हम में कौन बराबर में कौन है