हाँ ये बदली काली काली जाएगी पाक-बाज़ों में भी ढाली जाएगी तौबा की रिंदों में गुंजाइश कहाँ जब ये आएगी निकाली जाएगी कुछ बला-नोश आ गए भट्टी में शैख़ तेरी बोतल आज ख़ाली जाएगी फूल क्या डालोगे तुर्बत पर मिरी ख़ाक भी तुम से न डाली जाएगी जाइए हम अपना बहला लेंगे दिल दिल-लगी कोई निकाली जाएगी आए भी तो वो 'मुबारक' आए क्या जाने की तम्हीद डाली जाएगी