हाल ऐसा नहीं कि तुम से कहें एक झगड़ा नहीं कि तुम से कहें ज़ेर-ए-लब आह भी मुहाल हुई दर्द इतना नहीं कि तुम से कहें तुम ज़ुलेख़ा नहीं कि हम से कहो हम मसीहा नहीं कि तुम से कहें सब समझते हैं और सब चुप हैं कोई कहता नहीं कि तुम से कहें किस से पूछें कि वस्ल में क्या है हिज्र में क्या नहीं कि तुम से कहें अब 'ख़िज़ाँ' ये भी कह नहीं सकते तुम ने पूछा नहीं कि तुम से कहें