ये वहम था मिरा या फिर हवा का झोंका था था महव-ए-ख़्वाब उठाया बला का झोंका था उखाड़ फेंका है जिस ने दरख़्त को जड़ से वो ज़ुल्मतों के नगर की अना का झोंका था मिरी सदा तिरे कानों तलक जो पहुँची थी क़ुसूर-वार बराबर हवा का झोंका था तवाफ़ करने जो आया था रात चुपके से गुमान कहता है तिश्ना सदा का झोंका था जो मेरे साथ रहा बन के साएबाँ 'तन्हा' वो मेरी माँ के लबों की दुआ का झोंका था