हाल-ए-दिल आश्कार करता हूँ आज उन्हें अश्क-बार करता हूँ पैरहन तार तार करता हूँ एहतिमाम-ए-बहार करता हूँ अपनी हस्ती से बे-ख़बर हो कर आप का इंतिज़ार करता हूँ तेरे वा'दे पे तेरे सर की क़सम दिल से मैं ए'तिबार करता हूँ क़िस्सा-ए-दर्द-ओ-ग़म सुना के उन्हें आज फिर बे-क़रार करता हूँ शाम-ए-ग़म वो न आएँगे लेकिन फिर भी मैं इंतिज़ार करता हूँ दिल है क्या चीज़ दिल की हस्ती क्या जान तुम पर निसार करता हूँ दर्द-ओ-ग़म की फ़ज़ाएँ रौशन हैं दाग़ दिल के शुमार करता हूँ उन के नक़्श-ए-क़दम पे मैं 'साजिद' सज्दे दीवाना-वार करता हूँ