हबीब-ए-माह-ए-कनआनी के सदक़े By Ghazal << आज रुस्वा हैं तो हम कूचा-... ऐ अजल ऐ जान-ए-'फ़ानी&... >> हबीब-ए-माह-ए-कनआनी के सदक़े मैं अपने यूसुफ़-ए-सानी के सदक़े जबीं मेरी तरह दाग़-ए-ग़ुलामी मैं इस नक़्श-ए-सुलैमानी के सदक़े है आईना तिरी सूरत पे हैराँ मैं आईने की हैरानी के सदक़े सरापा बंदगी है किबरियाई मैं इस तकमील-ए-इंसानी के सदक़े Share on: