है अजब कुछ मोआमला दिल का कभी निकला न हौसला दिल का तेरी उल्फ़त की राह में ऐ शोख़ लुट गया हाए क़ाफ़िला दिल का रिश्ता-ए-इश्क़ जा मिलाता जा तेरी ज़ुल्फ़ों से सिलसिला दिल का क्या बताऊँ कि सामने उन के ज़ोर कुछ भी नहीं चला दिल का वस्ल की शब न तुम मिले खुल कर रह गया दिल में वलवला दिल का हर क़दम पर शिकस्त है वल्लाह इश्क़ से क्या मुक़ाबला दिल का जान दूँगा तलब में ऐ 'आजिज़' आख़िरी है ये फ़ैसला दिल का