है दिल तोड़ना तेरी फ़ितरत सुना मैं और इस की कोई हद न मुद्दत सुना मैं वले इब्तिदा जान कर पेश अपनी मोहब्बत की है ये शरीअ'त सुना मैं तलाशी में सारा जहाँ घूमता हूँ कि जब से जमाल-ए-मोहब्बत सुना मैं जो देखा तो जाना क़यामत है क्या शय जहाँ से बहुत तेरी बाबत सुना मैं ये रंगत ये ख़ुशबू ये बादल ये झरने ये सब हैंगे तेरी अलामत सुना मैं अजल से कभू सीख पाबंदी-ए-वक़्त नहीं देती इक पल ये मोहलत सुना मैं बहुत ख़्वार फिरती है दर दर फ़रासत बहुत ऐश में है जिहालत सुना मैं बड़ी कश्मकश में हूँ मेरे अज़ीज़ो मोहब्बत की बहना है नफ़रत सुना मैं न कुछ फ़र्क़ आया जहाँ के चलन में बहुत सों सुना तेरी वहशत सुना मैं कभू आ के 'परवेज़' याँ भी सुना जा है शे'रों में तेरे मतानत सुना मैं