है शाम सुहानी न सवेरा मिरे आगे दिल रोता है तन्हाई का रोना मिरे आगे वो हादसा-ए-इश्क़ मुझे याद है अब तक हाथों से छुपाना तिरा चेहरा मिरे आगे दिल हाज़िर-ओ-माज़ी के हो माबैन मुअ'ल्लक़ आँखों में तो है साअ'त-ए-फ़र्दा मिरे आगे है गुलशन-ए-हस्ती में हर इक शय पे तजल्ली हर दम तिरी क़ुदरत का है जल्वा मिरे आगे तदबीर-ओ-तहम्मुल तो है हो फ़ुर्क़त ओ ग़ुर्बत महरूमी-ए-क़िस्मत है तमाशा मिरे आगे मरने का ही इक ख़्वाब हो शर्मिंदा-ए-ताबीर हो जल्वा-नुमा गुम्बद-ए-ख़ज़रा मिरे आगे क्या जानिए क्या ज़िद है मिरे इश्क़ से उन को नासेह मिरे पीछे हैं मसीहा मिरे आगे आ तुझ को सिखाऊँ मैं मोहब्बत का सलीक़ा इस शहर में कोई नहीं तुझ सा मिरे आगे दिल जुरअत-ए-रिंदाना पे क्यों करता न अश-अश वो करते रहे वा'दा-ए-फ़र्दा मिरे आगे