है सूनी सूनी हर इक राहगुज़र आख़िर-ए-शब कोई किसी का नहीं ग़म-गुसार आख़िर-ए-शब सजी हुई जो सितारों की अंजुमन देखी वो याद आए हैं बे-इख़्तियार आख़िर-ए-शब है मेरी हमदम-ओ-दम-साज़ मेरी तन्हाई नफ़स नफ़स है मिरा राज़दार आख़िर-ए-शब न जाने बैठा हूँ कब से जुनूँ के आलम में मुझे किसी का नहीं इंतिज़ार आख़िर-ए-शब चली है दफ़अ'तन एहसास की वो पुरवाई हर एक लम्हा हुआ दिल पे बार आख़िर-ए-शब मिरे सिवा यहाँ कोई नहीं मगर फिर भी भटक रहा हूँ मैं दीवाना-वार आख़िर-ए-शब बिसात-ए-ज़ेहन पे किस किस के नाम उभर आए मैं कर रहा था ग़मों का शुमार आख़िर-ए-शब फ़ज़ा में छाई है 'अहमद' अजब सी बेताबी सबा है किस के लिए बे-क़रार आख़िर-ए-शब