है तिरा इंतिज़ार गुलशन में By Ghazal << मक़्तल से मेरा कासा-ए-सर ... आलम में हुस्न तेरा मशहूर ... >> है तिरा इंतिज़ार गुलशन में रो रही है बहार गुलशन में आज फिर दामन-ए-उमीद मिरा हो गया तार तार गुलशन में पत्तियाँ कब बिखेर दें झोंके किस को है ए'तिबार गुलशन में किस क़दर सख़्त-जान था 'अंजुम' जो रहा सोगवार गुलशन में Share on: