है तो मानूस पे गुम-गश्ता निशानी की तरह वो मुझे याद है बचपन की कहानी की तरह आप साहिल से मुझे देखते रह जाएँगे मैं गुज़र जाऊँगा बहते हुए पानी की तरह आज के दौर में रफ़्तार अजब वक़्त की है अब तो बचपन भी गुज़रता है जवानी की तरह सब्र मेरा भी किसी बंद की मानिंद रहा और मिज़ाज उस का भी दरिया की रवानी की तरह शह के नौकर को इजाज़त है सितम की 'आसिम' आदतें हो गईं बांदी की भी रानी की तरह