हैं बहुत से आशिक़-ए-दिल-गीर जम्अ' तेरे तरकश में हैं कितने तीर जम्अ' अच्छी सूरत से हमें भी इश्क़ है करते हैं तस्वीर पर तस्वीर जम्अ' कूचा-ए-क़ातिल में आफ़त आ गई जब हुए दो चार भी रहगीर जम्अ' या लगा दो आग या लिख दो जवाब हो गया है दफ़्तर-ए-तहरीर जम्अ' थोड़ी थोड़ी ही मिले उस दर की ख़ाक चुटकी चुटकी हम करें इक्सीर जम्अ' ख़ून-ए-दिल का चश्म-ए-तर ठेका न ले इस से होने की नहीं तौफ़ीर जम्अ' किस तरह यकजा हों 'दाग़' अपने अज़ीज़ होने देती ही नहीं तक़दीर जम्अ'