हैं ये जंजाल सारे जी के साथ मौत हर दम है ज़िंदगी के साथ बेवफ़ाई वफ़ा के बदले में होती आई है आदमी के साथ फ़िक्र-ए-नान-ए-शबीना है बे-कार रिज़्क़ आता है आदमी के साथ पास था ज़र तो कोई ऐब न था सब उयूब आए बे-ज़री के साथ अब तो सोहान-ए-रूह उदासी है दिल-लगी तो थी दिल-लगी के साथ किस क़दर हसरत-ए-सुलूक-ओ-दर्द बे-कसी को है बे-कसी के साथ काट ही लेंगे ज़िंदगी का सफ़र रंज के साथ कुछ ख़ुशी के साथ अब भी दैर-ओ-हरम को जाता हूँ लेकिन अंदाज़-ए-बे-दिली के साथ इश्क़ में रश्क भी गुमाँ भी है वास्ता क्या तुम्हें किसी के साथ जाम पर जाम कीजिए नोश आप लेकिन आदाब-ए-मय-कशी के साथ और भी हैं गुनाह दुनिया में इस क़दर बैर मय-कशी के साथ बुत-परस्ती है कोई खेल नहीं कीजे ईमाँ की पुख़्तगी के साथ