हज़ार बातें हैं दिल में अभी सुनाने को मगर ज़बाँ नहीं मिलती हमें बताने को वो आँखें आज सितारे तराशती देखें जिन्हों ने रंग-ए-तबस्सुम दिया ज़माने को हम अहल-ए-ज़र्फ़ अभी तक हैं एक जिंस-ए-लतीफ़ जिन्हें कुचल दिया दुनिया ने आज़माने को हमारे फूल हमारा चमन हमारी बहार हमीं को जा नहीं मिलती है आशियाने को 'सहाब' इतने तग़य्युर नवाज़ हैं हम भी कि अपने नग़्मों ने चौंका दिया ज़माने को