हल्का जान के सारी गिरानी खा जाएगा मोती मोती आँख का पानी खा जाएगा पके हुए सीने से रिसता काला ज़हर ये इफ़रीत तो कच्ची जवानी खा जाएगा लाख की चूड़ी माथा कुंदन कर डालेगी पाँव का पहिया रूप कहानी खा जाएगा ज़र-दानों के बीच में पलता घेरवा नाग पिघली हुई सरसों की निशानी खा जाएगा छे तरफ़ों की आग पिलाएगा साधू को सातवें सम्त का शो'ला गियानी खा जाएगा